"जंगल थैरेपी" यानि ( Shinrin Yoku ) "श्रिनरिन- योकू"......जीने के लिए जंगलो की और मुड़ता इंसान

"जंगल थैरेपी"
 
जैसे जैसे बढ़ते प्रदूषण और एंटीबॉयटिक ,एलोपैथिक दवाइयों के इफ्फेक्ट सामने आ रहे है इंसान फिर से नेचुरल तरीके से इलाज करने की पद्दति की और जा रहा है आज उसे फिर से उन्ही जंगलो और पेड पौधो में जीवन नजर आ रहा जिन्हे वो तेज़ी से अंधाधुंध तरीके से काट कर समाप्त कर रहा था जापान में आजकल "जंगल थैरेपी" बहुत फेमस हो रही है। इसमें लोग जंगल में जाते हैं यहां धीरे-धीरे वॉक करते हैं, पत्तियों पर नंगे पैर चलते हैं और पेड़ों से लिपटकर उन्हें सूंघते हैं उन्हें फील करते हैं। ऐसा करते समय आसपास के साउन्ड्स पर भी ध्यान देते हैं, जो भी दिख रहा है उस पर ध्यान देते हैं। इसे जापानीज भाषा में "श्रिनरिन- योकू" कहा जाता है। जापान में इस थैरेपी के लिए 62 जगहें हैं जहां पर जाकर लोग ब्रीद करते हैं। इससे हेल्थ के कई फायदे होते हैं। एरिक ब्रिसबेयर, ट्री थैरेपी फेसिलिटेटर के अनुसार इसके बहुत सारे फायदे हैं,जैसे इम्यून सिस्टम ठीक होता है, स्ट्रेस कम होता है, डिप्रेशन खत्म होता है और हाई ब्लड प्रेशर कम होता है




पेड़ो से निकलने वाले इसेंशियल आयल की वजह से ऐसा है जब लोग पेड़ से लिपटते है तो ये उनके शरीर में ऑब्जर्व हो जाते है अलग अलग पेड़ो का अलग अलग प्रभाव होता है जैसे Peach के पेड़ से रिलेक्स होते है और फर का पेड़ एनर्जी बढ़ाता है ये इफेक्ट पेड़ से निकलने वाले ' इसेंशियल आयल ' की वजह से महसूस होता है अच्छा है देर ही सही इंसान को आज जंगल का महत्त्व तो पता लग रहा है और वो तेज़ी से प्रकृति की शरण में वापिस जा रहा है



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